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आपको सफलता आत्मविश्वास से मिलाता है

हमें  संसार में कोई मनुष्य तब तक सफलता प्राप्त नहीं कर सकता ,जब तक की उसके मन में यह दृढ विश्वास न हो की  मै जिस काम को करना चाहता हूँ ,आप उसमे अवश्य ही सफल होंगे | वह मनुष्य कैसे  शिक्षा प्राप्त कर सकता है ,जिसके मन में निराशा का भाव छाया हुआ है ? जो कहा करता है -" हाय ! मै चाहता हूँ की खूब लिख -पढ़कर  विद्वान् बनूँ ,पर क्या करू ,मै निस्सहाय हूँ  | मुझे किसी तरह की सुविधा  नहीं है | न मेरे पास पैसे है और न मेरा कोई सहायक ही है | ऐसी प्रतिकूल परिसिथति के कारन मै लाचार हो गया हूँ | इसी से शिक्षा प्राप्त के द्रार मेरे लिए बंद हो गए |  

सफलता के लिए आत्मविश्वाश जरुरी है 


एक इंसान कैसे धनवान हो सकता है ,जिससे  विश्वास नहीं है की अपने पुरुषार्थ से धन कमा सकता है|  

जो इंसान ऐसा मानता है की कुछ इने  गिने मनुष्यों के भाग्य में ही धन बड़ा अधिकार आदमी गरीब ही होते है और मै  उनमे से एक हूँ  | हम व्यापार में प्रवेश की इक्छा करने वाले उस व्यक्ति से सफलता की किसे प्रकार आशा रख सकते हैं  ,जिसका आंरभ में ऐसा संदिग्ध मन होता है की मै व्यापार में सफलता प्राप्त कर सकूगा या नहीं कभी किसी मनुष्य को तब तक उसके कार्य में सफलता प्राप्त नहीं हो सकती जब तक काम को ठीक कर सकता है | उसी  में सफलता प्राप्त कर सकता है, जिसकी सिद्धि में उससे मन में विश्वास है | ऐसे बहुत से व्यक्ति है, जिन्होंने अपने व्यवसाय को निशिचत करने में इतने उत्साह और दृढ निश्चय से काम लिया की कोई उन्हें अपने उद्देश्य से हटा न सका | और अंतत: उन्होंने पूर्ण विश्वाश के साथ इस बात को स्वीकार कर लिया था की हमारा उद्देश्य हमसे अलग नहीं है | वह हमारे व्यक्तित्व का एक अभिन्न अंग है | यदि हम अविचल साहस के द्धारा संपादित किये हुए उन बड़े - बड़े कार्यो का और उनके कर्ताओ  का विश्लेषण करे ,तो उनमे दृढ़ आत्मविश्वाश ही सबसे प्रधान गुण मिलेगा | वह मनुष्य अवश्य ही सफलता प्राप्त करेगा आगे बढ़ेगा, ऊँचा उठेगा, उन्नति पथ पर अग्रसर होगा, जिसमे अपनी कार्य -संपादन शक्ति पर दृढ विश्वास हो | इस तरह के विश्वाश का इष्ट मानसिक परिणाम केवल उन्ही लोगों पर नहीं होता जो ऐसा विश्वाश रखते है | बल्कि उन लोगो पर भी होता है, जो निकट संपर्क में आते है 

                                   कार्यक्षमता पर विश्वाश 

हम जितना अपनी योग्यता और कार्यक्षमता पर विश्वाश करेंगे ,उतना ही हमारा जीवन सफल होगा और जितना हम अपनी योग्यता पर अविश्वाश करेंगे उतना ही हम विजय से, सफलता से दूर रहेंगे | चाहे हमारा पथ कितना ही कंटकाकीर्ण, संकटपूर्ण एव अंधकारमय क्यों न हो,हम चाहिए की कभी अपने आत्मविश्वाश को तिलांजलि न दे| हमारे कार्य की नींव हमारे आत्मविश्वाश पर जमी हुए है | हमें अमुक कार्य अवश्य कर सकते है, इस विचार में बड़ी  अदभुत शक्ति भरी हुए है | संसार में जो मनुष्य बड़े -बड़े काम करते है, उन सबसे ऊँचे दर्जे का आत्मविश्वाश होता है, अपनी शक्ति पर अपनी योग्यता पर और अपने कार्य पर | 

                               हर काम सफल होता है

हमारा  हर काम तभी सफल होता है, जब उसमे दृढ़ विश्वाश का बल रहता है | दृढ़ आत्मविश्वाश ही हमें उस मार्ग को बताता है, जो हमें अपने निर्दिष्ट स्थान पर पंहुचा देता है | आत्मविश्वाश ही कार्य का बल है | उसके द्धारा हममे शक्ति का ऐसा स्रोत फुट पड़ता है जो कठिन से कठिन कार्य को भी आसानी से पूरा कर देता है | आत्मविश्वाश में वह शक्ति है,  जो हजार विपत्तियों  सामना कर उन पर पूरी पूरी विजय प्राप्त कर सकती है | यही मनुष्य का सच्चा मित्र और उसकी सबसे अच्छी पूजी है| हमने देखा है की साधनहीन होने पर भी आत्मविश्वाश मनुष्यो ने दुनिया में गजब के काम किये है | जबकि बहुत से साधन सपन्न व्यक्ति विश्वासहीनता के कारन बुरी तरह से  असफल हुए है | यदि हममे यह दृढ विश्वाश है की हम बड़े - बड़े  कार्य कर सकते है, दुनिया में उलट फेर कर सकते है ,यदि हममे यह विश्वाश है की हममें एक महँ दैवी तत्व मैजूद है , हममें पूर्णता भरी हुए है अटूट शक्ति भंडार हममे भरा हुआ है ;तो हम निस्संदेह दुनिया में बड़े - बड़े  काम कर सकते है | 

































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